भारतीय मुसलमानों की पहचान का संकट (Identity Crisis)

09/05/2020
भारतीय मुसलमानों की पहचान का संकट (Identity Crisis)
~आसिफ़ नवाज़

हम कभी इस बात पर विचार विमर्श और गहन चिंतन क्यूँ नहीं करते कि हमारी अस्ल पहचान एवं मूल् परिचय (identity) क्या है? हमारी पहचान क्यूँ नहीं सिर्फ स्थानीय (local) होनी चाहिए? हम क्यूँ नहीं अपने आप को इस भूभाग से जोड़ कर देखते हैं? क्या सांस्कृतिक रूप से पूरा उप-महाद्वीप सभ्यताओं की एक उत्कृष्ट एवं अपार महिमा को प्राप्त नहीं किए हुए? हमें ये भी सोचना होगा कि क्या यह एक घोर अनन्या और तर्क-विरूद्ध मानसिकता नहीं है कि हम अपने आप को इस भूमि से अलग थलग मानते हुए या तो खुद को उन अरबों से जोड़ते हैं जो छेत्री विस्तारवादी (territorial expansionism) सोच ले कर यहां पर सदियों पहले आए थे और फिर चले गए, या फिर अफगान सरदारों & सिपहसालार से जो पूर्ण रूप से एक आक्रमणकारी मानसिकता के धारक थे, या फिर तुर्क योद्धाओं से अपनी पहचान सुनिश्चित करने की चेष्टा करते हैं? धर्म-आधारित एवं विस्तारवादी मानसिकता के आधर पर स्थापित किए गए मुस्लिम राज्यों और साम्राज्यों के पतन के कारण हमारी पहचान का पूर्ण नुकसान हुआ है और हम अभी भी खुद से पूछ रहे हैं कि हम कौन हैं और हमारी पहचान क्या है? ऐसा लगता है कि समय आ गया है कि हम पुनः इस पर गहन सोच विचार करें और अपने अंदर जो पहचान का संकट (identity crisis) है उसको दूर करें।

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