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Showing posts from April, 2020

Western Writers & Character-Assassination of the Holy Prophet of Islam

Western Writers & Character-Assassination of the Holy Prophet of Islam A number of Western writers made extensive attempts for character-assassination of the Holy Prophet of Islam by merely highlighting one aspect of the Prophet's life i.e. martial elements of Islam. Whereas, the Prophet combined a number of roles in his person. The most important role he played was of a Prophetic mission for which he was summoned. In addition to that, he was also a state builder, a social reformer and a voice of protection for the less fortunate in the society. The only role that the West mischievously opted and associated with the Prophet was an imposed role by adversarial elements of Meccan people, for which he had no choice but to play under the guidelines drawn by the omnipotent God. When we deeply study various phases of his mission, we discover that during his stay at Mecca, he concentrated on establishing a theological foundation of the Islam with utmost soft and kindest possible

कोरोना वायरस का प्रभाव और बदलते युग में बदलती मानव जीवनशैली

08/04/2020 कोरोना वायरस का प्रभाव और बदलते युग में बदलती मानव जीवनशैली ~ आसिफ नवाज़   पिछले कई सप्ताह से विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, विशेषज्ञों और विश्लेषकों की #कोरोना_वैश्विक_महामारी से संबंधित अभी तक जो भी लेख एंव विवरण हमें पढ़ने को मिल सका है, उस से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इनमें से अधिकांश बुद्धिजीवी इस बात पर सहमत हैं कि आने वाले समय में मानव जीवन वैसा नहीं रहे गा जैसा कि कोरोना वायरस से पहले का युग था। इस वाइरस के कारण मनुष्य के जीवन में जो नया परिवर्तन आने वाला है वो भविष्य में कम से कम 12-18 माह तक तो परस्पर प्रभावशाली बना रहे गा और जिस के बहोत से दूर गामी परीणाम प्रमाणित होंगे।  सभी बड़े समारोह, भीड़ भाड़ वाले कारोबार, उड्डयन उद्योग, ट्रेन, पर्यटन, मनोरंजन उद्यान (theme park) होटल, रेस्तरां, बार, कैफे, मूवी थिएटर, के साथ साथ सभी व्यवसाय जहां एक ही स्थान पर 20-30 से अधिक लोगों का जमघटा लगता हो , ऐसे स्थानों से अधिकांस लोग बचने का प्रयास करें गे, जिस से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को गम्भीर एवं नकारात्मक धक्का लगना तय है

प्राकृत वायरस vs स्वार्थवाद का कीड़ा

प्राकृत वायरस vs स्वार्थवाद का कीड़ा ~आसिफ़ नवाज़  आमतौर पर जब भी मनुष्य के जीवन में कठिन समय आता है तो वह गंभीर अवसाद (depression) से पीड़ित हो जाता है। उदाहरण के तौर पर जब किसी का कोई प्रियजन क़रीबी इस दुनिया से प्रस्थान कर जाए, या किसी को गंभीर वित्तीय हानि हो जाए, या किसी को कोई बहोत घातक बीमारी निदान (diagnose) की गई हो, या ऐसे ही किसी का वैवाहिक जीवन गंभीर समस्याओं से ग्रस्त हो गया हो। आदि आदि ... परंतु इन सब समस्याओं में एक मनुष्य अकेले डिप्रेशन का शिकार होता है, जबकि बाकी दुनिया सामान्य चल रही होती है। सभी मुस्कुराते हुए प्रतीत होते हैं। आप को ऐसा लगता है कि केवल आप इस दुनिया में अकेले मनुष्य हैं जो इस गंभीर समस्या से दो चार हैं और पूरी तरह से टूट चुके हैं। इस समय दूसरों की खुशी और हंसी आपको और अधिक उदास कर रही होती है। क्योंकि न तो कोई आप के दुख को समझना और साझा करना चाहता है और न ही किसी के पास इसके लिए समय है। इस प्रस्थिति में जो आप के साथ सहानुभूति भी रखता हुआ दिखता है वो आप को खोखला और बनावटी लगता है। परंतु आज के इस #कारोना जैसी #महामारी से जूझ रही दुनिया में प